‘कामायनी’ का महाकाव्यत्व | Kamayani Ka Mahakavyatva

‘कामायनी’ (1935 ई.) जयशंकर प्रसाद Kamayani Jaishankar Prasad की महाकाव्यात्मक रचना है । ‘कामायनी’ में कुल पंद्रह सर्ग (ग्रंथ का प्रकरण या अध्याय) हैं, जो क्रमानुसार इस प्रकार हैं : चिंता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा, कर्म, ईर्ष्या, इड़ा, स्वप्न, संघर्ष, निर्वेद, दर्शन, रहस्य तथा आनंद। तो आइए अब हम kamayani ka mahakavyatva विषय को … Read more

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