राम की शक्ति पूजा की व्याख्या भाग-3 | Ram ki Shaktipuja ki Vyakhya | Part-3

  भाग-3 लौटे युग दल। राक्षस-पद-तल पृथ्वी टलमल, बिंध महोल्लास से बार-बार आकाश विकल। वानर-वाहिनी खिन्न, लख निज-पति-चरण-चिन्ह  चल रही शिविर की ओर स्थविर-दल ज्यों विभिन्न,  प्रशमित है वातावरण, नमित-मुख सान्ध्यकमल लक्ष्मण चिन्ता-पल पीछे वानर-वीर सकल, रघुनायक आगे अवनी पर नवनीत-चरण,  श्लथ धनु-गुण है, कटि-बन्ध स्रस्त-तूणीर-धरण,  दृढ़ जटा-मुकुट हो विपर्यस्त प्रतिलट से खुल  फैला पृष्ठ पर, … Read more

error: Content is protected !!