अर्थपरिवर्तन की दिशाएँ | Arth Parivartan ki Dishaen
arth parivartan ki dishaen, arth vikas ki dishaen
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Bhasha Vyavastha aur Bhasha Vyavahar
महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने देवनागरी लिपि के विषय में यह कहा है कि – “देवनागरी दुनिया की सर्वाधिक वैज्ञानिक लिपि है” । अब हम Devnagari Lipi Ki Vaigyanikta पर विस्तार से विचार करेंगे और यह समझने का प्रयास करेंगे कि क्या वास्तव में देवनागरी लिपि एक वैज्ञानिक लिपि है । देवनागरी लिपि की विशेषताओं का … Read more
शब्दकोश का निर्माण अपने आप में एक बहुत जटिल और लंबी प्रक्रिया है। शब्दकोश बनाने की प्रारंभिक योजना से लेकर उसके छप जाने तक की प्रक्रिया काफी श्रम और समय की माँग करती है । यह जानकार आश्चर्य होता है कि ‘ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी कोश’ को बनने में चालीस वर्ष लगे थे। यह कार्य 1888 में … Read more
भाग-4 आये सब शिविर सानु पर पर्वत के मंथर सुग्रीव, विभीषण, जाम्बवान आदिक वानर, सेनापति दल-विशेष के अंगद, हनूमान, नल, नील, गवाक्ष प्रात के रण का समाधान करने के लिए, फेर वानर-दल आश्रम-स्थल। बैठे रघु-कुल-मणि श्वेत शिला पर निर्मल जल ले आए कर-पद-क्षालनार्थ पटु हनूमान, अन्य वीर सर के गए तीर संध्या-विधान, वंदना ईश की … Read more
देवनागरी (नागरी) लिपि में असंख्य विशेषताएं विद्यमान हैं। वस्तुतः यह विश्व की समस्त वर्तमान लिपियों से श्रेष्ठ एवं वैज्ञानिक है।आइजक पिटमैन के अनुसार – “संसार की यदि कोई लिपि सर्वाधिक पूर्ण है तो वह एकमात्र देवनागरी ही है।” मोनियर विलियम्स के अनुसार, “देवनागरी में यद्यपि Z और F (ज़ और फ़) के लिए वर्ण नहीं … Read more
अपभ्रंश की व्याकरणिक संरचना का विवेचन संज्ञा, वचन, लिंग, विशेषण, काल, सर्वनाम तथा क्रिया आदि आधारों पर किया जा सकता है। (1) संज्ञा तथा कारक व्यवस्थाः सरलीकरण की प्रक्रिया अपभ्रंश के संज्ञा-रूपों में कई प्रकार से चलती रही। इस संबंध में तीन तरह के नये प्रयोग इस काल में दिखते हैं – (i) निर्विभक्तिक प्रयोगों … Read more