राम की शक्ति पूजा की व्याख्या | Ram ki Shaktipuja ki Vyakhya | भाग-1| Part-1

ram ki shaktipuja ki vyakhya

‘राम की शक्ति पूजा’ निराला द्वारा 1936 में रचित एक लम्बी कविता है, जो उनके काव्य संकलन ‘अनामिका’ में संकलित है। 312 पंक्तियों की इस कविता की कथा पौराणिक है, परन्तु निराला ने उसे सर्वथा मौलिक रूप में प्रस्तुत करते हुए प्रासंगिक बना दिया है। आज हम Ram ki Shakti Puja के प्रारम्भिक 10 पंक्तियों … Read more

जॉन ड्राइडन : युग परिवेश और आलोचना सिद्धांत / John Dryden : Yug Parivesh aur Alochana Siddhant

John Dryden ki alochana drishti

जॉन ड्राइडन (1631-1700) बहुमुखी प्रतिभा के धनी एक ऐसे लेखक थे, जिन्होंने साहित्य की किसी भी शाखा को अछूता नहीं छोड़ा और प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्ट योग्यता के कार्य किए। वे एक महान कवि और महान नाटककार थे। वे एक महान गद्य-लेखक भी थे और उन्हें आधुनिक गद्य शैली का संस्थापक माना जाता है। वे … Read more

आलोचना का अर्थ, परिभाषा, स्वरूप और प्रकार | alochana ka arth, paribhasha, swarup aur prakar

alochana ka arth, paribhasha, swarup aur prakar

आलोचना शब्द का प्रयोग किसी कृति के गुण-दोषों के विवेचन के लिए किया जाता है। सामान्यतः आलोचना का अर्थ लोग दोषदर्शन से ही लेते हैं, किन्तु आलोचना के व्युत्पत्तिपरक अर्थ पर विचार करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि आलोचना का अभिप्राय गुण-दोष दोनों पर प्रकाश डालना है। आलोचना को समालोचना अथवा समीक्षा भी … Read more

अनुसंधान का अर्थ, स्वरूप और विशेषताएं | Anusandhan Ka Arth, Swarup Aur Visheshtaen

anusandhan ka arth, awarup aur visheshtaen

अनुसंधान’ के लिए अनेक पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग किया जाता, जिनमें ‘अन्वेषण’ और ‘शोध’ प्रमुख हैं । अँग्रेजी में ‘रिसर्च’ शब्द का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ ‘अन्वेषण’ है ।   (अन्वेषण = खोजना, ढूँढ़ना)   अनुसंधान क्या है ? वस्तुतः अनुसंधान की परिभाषा में यह अर्थ है कि जो संधान (संधान का अर्थ है दिशा) के लिए हो, जिसमें खोजना और प्रमाणित करना हो । ‘शोध’ … Read more

टी एस इलियट का वस्तुनिष्ठ समीकरण का सिद्धान्त | t s eliot ka vastunishtha samikaran ka siddhant | eliot ka vastunishtha samikaran ka siddhant

प्रसिद्ध कवि, नाटककार तथा आलोचक टॉमस स्टार्न्स इलियट (Thomas Stearns Eliot) का जन्म 26 सितंबर, 1888 को सेंट लुई अमेरिका के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। टी.एस.इलियट बीसवीं शताब्दी के सर्वाधिक प्रभावशाली समीक्षक हैं, इन्होंने पाश्चात्य समीक्षा को अत्यधिक गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से 1910 ई. में  एम.ए.किया । इसके बाद तर्कशास्त्र, … Read more

रीति सम्प्रदाय | रीति सिद्धान्त | Riti Sampraday | Riti Siddhant | Acharya Vaman Ka Riti Sampraday | Bhartiya Kavyashastra

 रीति सम्प्रदाय के प्रवर्तक आचार्य वामन (8वीं शती) माने जाते हैं। यद्यपि रीति शब्द का काव्य-शास्त्र में प्रयोग आचार्य वामन से पहले भी प्राप्त होता है पर उसका व्यवस्थित स्वरूप और विस्तृत व्याख्या सर्वप्रथम आचार्य वामन ने ही प्रस्तुत की। ‘रीति’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘रीङ्’ धातु में ‘ऋन्’ प्रत्यय के योग से हुई है, जिसका … Read more

यूनिकोड क्या है | unicode kya hai

 यूनिकोड unicode एक कंप्यूटर प्रोग्राम है, जो हमारे द्वारा की–बोर्ड से टाइप किए गये प्रत्‍येक अक्षर को एक विशेष कोड या नम्‍बर प्रदान करता है।  हम इंटरनेट पर जो भी लेख हिंदी में लिखा हुआ देखते हैं अथवा इंटरनेट पर जो भी सामग्री हिंदी में उपलब्ध है वह सब यूनिकोड के माध्यम से ही लिखे और टाइप किए जाते … Read more

अंधेरे में कविता का सारांश | andhere men kavita ka saransh | andhere men muktibodh

गजानन माधव मुक्तिबोध हिंदी-साहित्य में फैंटेसी-शैली के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं । मुक्तिबोध फैंटेसी को काव्य-शिल्प का अनिवार्य अंग मानते थे । ‘अंधेरे में’ फैंटेसी-शैली की एक अद्भुत रचना है। मुक्तिबोध ने फैंटेसी काव्य-शैली को अनुभव की कन्या कहा है । ‘अंधेरे में’ एक स्वप्न-कथा है । मुक्तिबोध की ‘अंधेरे में’ कविता ‘चाँद … Read more

ध्वनि सम्प्रदाय | ध्वनि सिद्धांत Dhwani Sampraday| Dhwani Siddhant | Acharya Anandvardhan | Bhartiya Kavyashastra

भारतीय काव्यशास्त्र में ध्वनि सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण स्थान है। ध्वनि-सिद्धान्त को व्यवस्थित करने का श्रेय आचार्य आनन्दवर्धन को है जिन्होंने अपने ग्रन्थ ‘ध्वन्यालोक’ में ध्वनि सिद्धान्त की स्थापना की। ध्वनि सिद्धान्त से पहले काव्यशास्त्र में तीन महत्वपूर्ण सिद्धान्त अलंकार, रस और रीति का प्रवर्तन हो चुका था। अतः ध्वनि सिद्धान्त के अन्तर्गत प्रबल एवं पुष्ट … Read more

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