‘राम की शक्ति पूजा’ की मूल संवेदना या केंद्रीय संवेदना | Ram ki Shaktipuja ki Mul Samvedana | Ram ki Shaktipuja ki Kendriya Samvedana

 राम की शक्तिपूजा, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ (Suryakant Tripathi Nirala) द्वारा रचित काव्य है। निराला जी ने इसका सृजन 23 अक्टूबर 1936 को पूर्ण किया था। कहा जाता है कि इलाहाबाद (प्रयागराज) से प्रकाशित दैनिक समाचारपत्र ‘भारत’ में पहली बार 26 अक्टूबर 1936 को उसका प्रकाशन हुआ था। बाद में इसका प्रकाशन निराला के कविता संग्रह … Read more

छायावाद | Chhayavad

छायावाद (1918 ई. से 1936 ई.) | Chhayavad हिंदी साहित्य में ‘छायावाद’ शब्द का प्रथम लिखित प्रयोग मुकुटधर पाण्डेय ने किया। आइये आज हम chhayavad को समझने का प्रयास करते हैं ।   सन् 1920 में जबलपुर से प्रकाशित पत्रिका ‘श्रीशारदा’ में ‘हिंदी में छायावाद’ शीर्षक से चार चरणों में लेख लिखकर छायावाद की आरंभिक विवेचना … Read more

महादेवी वर्मा की काव्य संवेदना | Mahadevi Verma ki Kavya Samvedana

महादेवी वर्मा छायावाद की एक प्रतिनिधि हस्ताक्षर हैं । छायावाद का युग उथल-पुथल का युग था । कवि अपने समय के वास्तविक यथार्थ से प्रभावित होकर अपनी रचनाओं में उसकी विशिष्ट प्रवृत्तियों को अभिव्यक्ति देता है और उसकी रचनाएँ ही उस युग विशेष की मूल प्रवृत्ति को रूपायित करती हैं । लेकिन महादेवी जी अपनी … Read more

महादेवी वर्मा की प्रसिद्ध कविताएं और उनकी व्याख्या | Mahadevi Verma Ki Prasiddha Kavitaen aur Unki Vyakhya

 महादेवी वर्मा का जीवन परिचय  महादेवी वर्मा का जन्म 1907 में फर्रुखाबाद में हुआ था। इनकी पढ़ाई-लिखाई इंदौर और इलाहाबाद में हुई थी। इलाहाबाद में स्थित प्रयाग महिला विद्यापीठ में वे प्रधानाचार्या के पद पर कार्यरत रहीं। उनकी मृत्यु 1987 में हुई। महादेवी वर्मा ने कविता के अलावा सशक्त गद्य भी लिखा था। उनकी गद्य … Read more

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की काव्यगत विशेषताएँ | Suryakant Tripathi ‘Nirala’ Ki Kavyagat Visheshtaen

1918 से 1936 तक 18 वर्षों का समय छायावाद युग है । दो महायुद्धों के बीच की हिंदी कविता के रूप में छायावाद का अध्ययन किया जा सकता है । सूर्यकांत त्रिपाठी निराला भी छायावादी कवि हैं । उनकी काव्यगत विशेषताओं को उनकी कविताओं का अध्ययन करके ही समझा जा सकता है।         ‘राम … Read more

‘कामायनी’ का महाकाव्यत्व | Kamayani Ka Mahakavyatva

‘कामायनी’ (1935 ई.) जयशंकर प्रसाद Kamayani Jaishankar Prasad की महाकाव्यात्मक रचना है । ‘कामायनी’ में कुल पंद्रह सर्ग (ग्रंथ का प्रकरण या अध्याय) हैं, जो क्रमानुसार इस प्रकार हैं : चिंता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा, कर्म, ईर्ष्या, इड़ा, स्वप्न, संघर्ष, निर्वेद, दर्शन, रहस्य तथा आनंद।      ‘कामायनी’ (1935 ई.) जयशंकर प्रसाद Kamayani Jaishankar … Read more

सुमित्रानन्दन पन्त (1900-1977 ई.) की काव्य यात्रा के विविध चरण | sumitranandan pant ki kavyayatra ke vividh charan

                                          कविवर सुमित्रानन्दन पन्त  (sumitranandan pant) हिन्दी के एक ऐसे कवि हैं जिनकी कविता का स्वरूप एवं स्वर समय के साथ बदलता रहा। उनकी प्रारम्भिक कविताएं छायावादी काल की हैं जिनमें प्रकृति सौन्दर्य की प्रधानता है किन्तु बाद में उनकी कविताओं … Read more

error: Content is protected !!