शब्दकोश निर्माण की प्रक्रिया | Shabdkosh Nirman Ki Prakriya

shabdkosh nirman ki prakriya

शब्दकोश का निर्माण अपने आप में एक बहुत जटिल और लंबी प्रक्रिया है। शब्दकोश बनाने की प्रारंभिक योजना से लेकर उसके छप जाने तक की प्रक्रिया काफी श्रम और समय की माँग करती है । यह जानकार आश्चर्य होता है कि ‘ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी कोश’ को बनने में चालीस वर्ष लगे थे। यह कार्य 1888 में … Read more

राजभाषा हिंदी का क्रमिक विकास | Rajbhasha Hindi Ka Kramik Vikas | Rajbhasha Kya Hai

rajbhasha hindi ka kramik vikas

राजभाषा से तात्पर्य सरकारी कामकाज की भाषा से है । जब हम राजभाषा की चर्चा करते हैं तो यह  केंद्रीय सरकार के कार्यालयों में प्रयोग की जाने वाली भाषा है । 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को संघ (केंद्र सरकार) की राजभाषा का दर्ज़ा दिया । इस लेख में हम राजभाषा के … Read more

भाषा की प्रकृति, प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ | Bhasha ki Prakriti, Pravrittiyan aur Visheshtaen

Bhasha ki Prakriti, Pravrittiyan aur Visheshtaen

  Bhoopendra Pandeyनमस्कार ! मेरा नाम भूपेन्द्र पाण्डेय है । मेरी यह वेबसाइट शिक्षा जगत के लिए समर्पित है । हिंदी भाषा, हिंदी साहित्य और अनुवाद विज्ञान से संबंधित उच्च स्तरीय पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाना मेरा मुख्य उद्देश्य है । मैं पिछले 20 वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रहा हूँ । मेरे लेक्चर्स … Read more

यूनिकोड क्या है | unicode kya hai

 यूनिकोड unicode एक कंप्यूटर प्रोग्राम है, जो हमारे द्वारा की–बोर्ड से टाइप किए गये प्रत्‍येक अक्षर को एक विशेष कोड या नम्‍बर प्रदान करता है।  हम इंटरनेट पर जो भी लेख हिंदी में लिखा हुआ देखते हैं अथवा इंटरनेट पर जो भी सामग्री हिंदी में उपलब्ध है वह सब यूनिकोड के माध्यम से ही लिखे और टाइप किए जाते … Read more

राजभाषा हिंदी और अनुवाद का अंतर्संबंध | Rajbhasha Hindi aur Anuvad ka Antarsambandh

भाषा विचारों के आदान प्रदान का माध्यम होती है । भाषा जितनी सुबोध, सहज, सरल होगी भाव सम्प्रेषण उतना ही सफल और सशक्त होगा । भारतीय भाषाओं की परंपरा में या उनके इतिहास में हिंदी का वही स्थान व महत्व है जो प्राचीन काल में संस्कृत का था। हिंदी करोड़ों लोगों की विचारवाहिनी भाषा है … Read more

प्रशासनिक हिंदी की चुनौतियाँ और समस्याएँ | Prashasanik Hindi ki Chunautiyan aur Samasyayen

प्रशासनिक हिंदी मूलतः अनुवाद के माध्यम से विकसित हुई है । अनुवाद की भाषा होने के कारण इसकी अपनी कुछ विशिष्टताएँ हैं जो शब्दावली, वाक्य विन्यास से लेकर अभिव्यक्ति शैली और अर्थवत्ता तक व्याप्त है । हिंदी का यह रूप अपेक्षाकृत नया है । Contents               जैसा कि होता रहा है हर … Read more

प्रशासनिक क्षेत्र में अनुवाद की आवश्यकता और स्थिति | Prashasanik Kshetra men Anuvad Ki Awashyakta aur Sthiti

      जब भारत स्वाधीन हुआ तथा प्रशासनिक आदि कार्यों में भारतीय भाषाओं के प्रयोग की बात सोची जाने लगी तब आरंभ में अनुवाद का सहारा लिया जाना अस्वाभाविक नहीं था। भारत के संविधान के अनुसार जहाँ अनुच्छेद 343 में संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी को अपनाया गया वहीं अनुच्छेद 345 में राज्यों की राजभाषा … Read more

प्रयोजनमूलक हिंदी : प्रयुक्तियां और व्यवहार क्षेत्र | Prayojanmulak Hindi : Prayuktiyan Aur Vyavahar Kshetra

प्रयोजनमूलक भाषा से तात्पर्य है किसी प्रयोजन विशेष के लिए इस्तेमाल होने वाली भाषा। यों तो भाषा का उद्देशय ही भावों और विचारों की अभिव्यक्ति होता है चाहे वह अभिव्यक्ति मौखिक हो अथवा लिखित लेकिन इस सहज प्रयोजन विशेष के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भाषा प्रयोजनों का माध्यम भी बनती है और ऐसे प्रयोजन … Read more

प्रशासनिक कार्यों में अनुवाद की भूमिका | Prashasanik Karyon Men Anuvad Ki Bhumika

             राजभाषा अधिनियम, 1963 (यथा संशोधित, 1967) के प्रावधानों के अनुसार संघ सरकार के राजकाज में द्विभाषिकता की स्थिति आ गई जिसके अनुसार सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने शासकीय कार्य हिंदी अथवा अँग्रेजी में करने की छूट दी गई तथा उक्त अधिनियम की धारा 3(3) के अंतर्गत आने वाले सभी कागजात हिंदी और अँग्रेजी में द्विभाषी … Read more

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