आलोचना का अर्थ, परिभाषा, स्वरूप और प्रकार | alochana ka arth, paribhasha, swarup aur prakar

alochana ka arth, paribhasha, swarup aur prakar

आलोचना शब्द का प्रयोग किसी कृति के गुण-दोषों के विवेचन के लिए किया जाता है। सामान्यतः आलोचना का अर्थ लोग दोषदर्शन से ही लेते हैं, किन्तु आलोचना के व्युत्पत्तिपरक अर्थ पर विचार करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि आलोचना का अभिप्राय गुण-दोष दोनों पर प्रकाश डालना है। आलोचना को समालोचना अथवा समीक्षा भी … Read more

काव्य में लोक-मंगल की साधनावस्था – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल | Kavya men Lokmangak ki Sadhnavastha – Acharya Ramchandra Shukla

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने ऐसे काव्यों को, जिनमें मंगल का विधान (कल्याण करने का उद्देश्य) करने वाला भाव ‘करुणा’ बीज रूप में विद्यमान रहता है, श्रेष्ठ घोषित करके ‘लोक मंगल की साधना’ को काव्य-प्रतिमान के रूप में प्रतिष्ठित किया है । उनका तर्क है कि लोक में मंगल का विधान करने वाले दो भाव हैं- ‘करुणा’ और ‘प्रेम’। ‘करुणा’ की … Read more

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की आलोचना दृष्टि | Acharya Ramchandra Shukla Ki Alochana Drishti

  ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ में ‘गद्य साहित्य का प्रसार’ के द्वितीय उत्थान (संवत् 1950-1975) के अंतर्गत समालोचना पर विचार करते हुए शुक्लजी ने लिखा है, ‘पर यह सब आलोचना बहिरंग बातों तक ही रही। भाषा के गुण-दोष, रस, अलंकार आदि की समीचीनता इन्हीं सब परम्परागत विषयों तक पहुँची। स्थायी साहित्य में परिगणित होने वाली समालोचना … Read more

हिंदी आलोचना का उद्भव और विकास | Hindi Alochana ka Udbhav aur Vikas

हिंदी में ‘आलोचना’ शब्द अंग्रेजी के ‘क्रिटिसिज़्म’ (Criticism) का पर्याय है जिसका अर्थ है ‘मूल्यांकन’ अथवा ‘निर्णय करना’। अर्थात् किसी वस्तु या कृति की सम्यक व्याख्या अथवा मूल्यांकन आदि करना ही आलोचना है । आलोचना को समीक्षा भी कहा जाता है। समीक्षा का अर्थ है ‘सम्यक निरीक्षण’। वस्तुत: पहले सर्जनात्मक साहित्य प्रकाश में आता है … Read more

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