मनोविश्लेषणवाद क्या है | Manovishleshanvad Kya Hai | मनोविश्लेषणवाद | Manovishleshanvad

मनोविश्लेषण शब्द अंग्रेजी के ‘साइको-एनलसिस’ (Psycho-analysis) शब्द का हिंदी पर्याय है । 19 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud, 1856-1939) द्वारा मानसिक रोगियों का इलाज करते हुए स्नायविक व मानसिक विकारों के संबंध में सुझाया गया सिद्धांत व व्यवहार मनोविश्लेषण कहलाता है। चिकित्सा की यह विधि जिन मूल सिद्धांतों पर आधारित है … Read more

विलियम वर्ड्सवर्थ का काव्य-भाषा सिद्धान्त | William Wordsworth ka Kavyabhasha Siddhant

प्रसिद्ध अंग्रेजी कवि विलियम वर्ड्सवर्थ (1770-1850 ई.) एक कवि के रूप में सुविख्यात हैं। आधुनिक काल के छायावादी कवि सुमित्रानन्दन पन्त की भांति वईसवर्थ ने भी प्रकृति निरीक्षण से कविता की ओर अपने झुकाव को व्यक्त किया है। बीस वर्ष की अवस्था में वर्ड्सवर्थ ने पैदल ही फ्रान्स, इटली और आल्पस पर्वत श्रृंखला की प्राकृतिक … Read more

मिथक क्या है | Mithak Kya Hai

mithak kya hai

मिथक का अर्थ अर्थ – अंग्रेजी के मिथ (Myth) का समानार्थी शब्द ‘मिथक’ है, जो यूनानी शब्द ‘माइथोस’ से निष्पन्न है। इसका अर्थ है- अतर्क्य आख्यान। हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि हिंदी साहित्य में मिथकों का प्रयोग किस प्रकार किया गया है । बच्चन सिंह इसकी परिभाषा देते हुए कहते हैं कि- “मिथक … Read more

जॉन ड्राइडन : युग परिवेश और आलोचना सिद्धांत / John Dryden : Yug Parivesh aur Alochana Siddhant

John Dryden ki alochana drishti

जॉन ड्राइडन (1631-1700) बहुमुखी प्रतिभा के धनी एक ऐसे लेखक थे, जिन्होंने साहित्य की किसी भी शाखा को अछूता नहीं छोड़ा और प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्ट योग्यता के कार्य किए। वे एक महान कवि और महान नाटककार थे। वे एक महान गद्य-लेखक भी थे और उन्हें आधुनिक गद्य शैली का संस्थापक माना जाता है। वे … Read more

टी एस इलियट का वस्तुनिष्ठ समीकरण का सिद्धान्त | t s eliot ka vastunishtha samikaran ka siddhant | eliot ka vastunishtha samikaran ka siddhant

प्रसिद्ध कवि, नाटककार तथा आलोचक टॉमस स्टार्न्स इलियट (Thomas Stearns Eliot) का जन्म 26 सितंबर, 1888 को सेंट लुई अमेरिका के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। टी.एस.इलियट बीसवीं शताब्दी के सर्वाधिक प्रभावशाली समीक्षक हैं, इन्होंने पाश्चात्य समीक्षा को अत्यधिक गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से 1910 ई. में  एम.ए.किया । इसके बाद तर्कशास्त्र, … Read more

प्लेटो का आदर्शवाद | Plato ka Adarshvad

 पाश्चात्य संस्कृति एवं सभ्यता का आदिस्रोत यूनान रहा है। यूनान के दार्शनिकों, विचारकों एवं काव्य-चिन्तकों ने जिन सिद्धान्तों का प्रतिपादन ईसा से चार-पाँच शताब्दियों पूर्व किया था, उन्हीं की अनुगूँज परवर्ती युग में यूरोप के विभिन्न विचारकों की शब्दावली में सुनाई देती है।   यूनान के गौरवशाली चिन्तकों एवं महान् दार्शनिकों में सुकरात के शिष्य प्लेटो (427 … Read more

स्वच्छन्दतावाद क्या है | Swachchhandatavad kya hai | swachchhandatavad | Romanticism kya hai

‘स्वच्छंदतावाद’ ‘रोमांटिसिज़्म’ का हिंदी अनुवाद है । हिंदी में इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कदाचित् आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अपने ग्रंथ ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ में पं. श्रीधर पाठक को ‘स्वच्छंदतावाद’ का प्रवर्तक मानते हुए किया है । ‘रोमांटिक’ शब्द को एक काव्य प्रवृत्ति अथवा ‘वाद’ के रूप में सर्वप्रथम प्रयुक्त करने वाले जर्मन आलोचक … Read more

कॉलरिज का काव्यचिंतन | Coleridge ka Kavyachintan

               शाब्दिक अर्थ में काव्य चिंतन का संबंध कविता के विषय में चिंतन से है। कविता क्या है? रस, छंद अलंकार तथा काव्यभाषा का कविता की सृजन प्रक्रिया में क्या योगदान है? काव्य चिंतन के केंद्र में ऐसे ही बिंदु रहते हैं। एक दृष्टि से काव्य चिंतन वस्तुतः कविता संबंधित … Read more

मैथ्यू आर्नल्ड (1822-1888) की आलोचना दृष्टि | Matthew Arnold Ki Alochana Drishti

    Table of Contents आलोचना का स्वरूप और प्रकार्य      मैथ्यू आर्नल्ड Matthew Arnold डॉ. टॉमस आर्नल्ड के पुत्र थे। इनकी शिक्षा आक्सफोर्ड में हुई थी। 1849 में इनका पहला काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ । इनके आलोचनात्मक निबंधों का संग्रह “एसेज इन क्रिटिसिज्म” (Essays in criticism) 1865 में प्रकाशित हुआ। सन् 1857 में ये आक्सफोर्ड युनिवर्सिटी … Read more

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