राम की शक्ति पूजा की व्याख्या भाग-4 | Ram ki Shaktipuja ki Vyakhya Part-4

ram ki shaktipuja ki vyakhya

भाग-4 आये सब शिविर सानु पर पर्वत के मंथर सुग्रीव, विभीषण, जाम्बवान आदिक वानर, सेनापति दल-विशेष के अंगद, हनूमान, नल, नील, गवाक्ष प्रात के रण का समाधान करने के लिए, फेर वानर-दल आश्रम-स्थल। बैठे रघु-कुल-मणि श्वेत शिला पर निर्मल जल ले आए कर-पद-क्षालनार्थ पटु हनूमान, अन्य वीर सर के गए तीर संध्या-विधान, वंदना ईश की … Read more

राम की शक्ति पूजा की व्याख्या भाग-2 | Ram ki Shaktipuja ki Vyakhya | Part-2

ram ki shaktipuja ki vyakhya

 भाग – (2) अनिमेष राम-विश्वजिद् दिव्य शर-भंग-भाव, विद्धांग-बद्ध-कोदण्ड-मुष्टि खर रुधिर स्राव। रावण प्रहार दुर्वार विकल वानर दल-बल,  मूर्च्छित सुग्रीवांगद-भीषण गवाक्ष गय-नल। वारित सौमित्र भल्लपति अगणित मल्ल-रोध, गर्जित प्रलयाब्धि क्षुब्ध हनुमत् केवल प्रबोध । उद्गीरित वह्नि भीम पर्वत कपि चतुः प्रहर, जानकी भीरु उर आशा भर रावण-सम्बर।। सन्दर्भ – प्रस्तुत  पंक्तियां छायावादी कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला‘ द्वारा … Read more

राम की शक्ति पूजा की व्याख्या | Ram ki Shaktipuja ki Vyakhya | भाग-1| Part-1

ram ki shaktipuja ki vyakhya

‘राम की शक्ति पूजा’ निराला द्वारा 1936 में रचित एक लम्बी कविता है, जो उनके काव्य संकलन ‘अनामिका’ में संकलित है। 312 पंक्तियों की इस कविता की कथा पौराणिक है, परन्तु निराला ने उसे सर्वथा मौलिक रूप में प्रस्तुत करते हुए प्रासंगिक बना दिया है। आज हम Ram ki Shakti Puja के प्रारम्भिक 10 पंक्तियों … Read more

राम की शक्ति पूजा की व्याख्या भाग-3 | Ram ki Shaktipuja ki Vyakhya | Part-3

  भाग-3 लौटे युग दल। राक्षस-पद-तल पृथ्वी टलमल, बिंध महोल्लास से बार-बार आकाश विकल। वानर-वाहिनी खिन्न, लख निज-पति-चरण-चिन्ह  चल रही शिविर की ओर स्थविर-दल ज्यों विभिन्न,  प्रशमित है वातावरण, नमित-मुख सान्ध्यकमल लक्ष्मण चिन्ता-पल पीछे वानर-वीर सकल, रघुनायक आगे अवनी पर नवनीत-चरण,  श्लथ धनु-गुण है, कटि-बन्ध स्रस्त-तूणीर-धरण,  दृढ़ जटा-मुकुट हो विपर्यस्त प्रतिलट से खुल  फैला पृष्ठ पर, … Read more

error: Content is protected !!