अनुसंधान का अर्थ, स्वरूप और विशेषताएं | Anusandhan Ka Arth, Swarup Aur Visheshtaen

anusandhan ka arth, awarup aur visheshtaen

अनुसंधान’ के लिए अनेक पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग किया जाता, जिनमें ‘अन्वेषण’ और ‘शोध’ प्रमुख हैं । अँग्रेजी में ‘रिसर्च’ शब्द का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ ‘अन्वेषण’ है ।   (अन्वेषण = खोजना, ढूँढ़ना)   अनुसंधान क्या है ? वस्तुतः अनुसंधान की परिभाषा में यह अर्थ है कि जो संधान (संधान का अर्थ है दिशा) के लिए हो, जिसमें खोजना और प्रमाणित करना हो । ‘शोध’ … Read more

टी एस इलियट का वस्तुनिष्ठ समीकरण का सिद्धान्त | t s eliot ka vastunishtha samikaran ka siddhant | eliot ka vastunishtha samikaran ka siddhant

प्रसिद्ध कवि, नाटककार तथा आलोचक टॉमस स्टार्न्स इलियट (Thomas Stearns Eliot) का जन्म 26 सितंबर, 1888 को सेंट लुई अमेरिका के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। टी.एस.इलियट बीसवीं शताब्दी के सर्वाधिक प्रभावशाली समीक्षक हैं, इन्होंने पाश्चात्य समीक्षा को अत्यधिक गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से 1910 ई. में  एम.ए.किया । इसके बाद तर्कशास्त्र, … Read more

रीति सम्प्रदाय | रीति सिद्धान्त | Riti Sampraday | Riti Siddhant | Acharya Vaman Ka Riti Sampraday | Bhartiya Kavyashastra

 रीति सम्प्रदाय के प्रवर्तक आचार्य वामन (8वीं शती) माने जाते हैं। यद्यपि रीति शब्द का काव्य-शास्त्र में प्रयोग आचार्य वामन से पहले भी प्राप्त होता है पर उसका व्यवस्थित स्वरूप और विस्तृत व्याख्या सर्वप्रथम आचार्य वामन ने ही प्रस्तुत की। ‘रीति’ शब्द की व्युत्पत्ति ‘रीङ्’ धातु में ‘ऋन्’ प्रत्यय के योग से हुई है, जिसका … Read more

यूनिकोड क्या है | unicode kya hai

 यूनिकोड unicode एक कंप्यूटर प्रोग्राम है, जो हमारे द्वारा की–बोर्ड से टाइप किए गये प्रत्‍येक अक्षर को एक विशेष कोड या नम्‍बर प्रदान करता है।  हम इंटरनेट पर जो भी लेख हिंदी में लिखा हुआ देखते हैं अथवा इंटरनेट पर जो भी सामग्री हिंदी में उपलब्ध है वह सब यूनिकोड के माध्यम से ही लिखे और टाइप किए जाते … Read more

अंधेरे में कविता का सारांश | andhere men kavita ka saransh | andhere men muktibodh

गजानन माधव मुक्तिबोध हिंदी-साहित्य में फैंटेसी-शैली के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं । मुक्तिबोध फैंटेसी को काव्य-शिल्प का अनिवार्य अंग मानते थे । ‘अंधेरे में’ फैंटेसी-शैली की एक अद्भुत रचना है। मुक्तिबोध ने फैंटेसी काव्य-शैली को अनुभव की कन्या कहा है । ‘अंधेरे में’ एक स्वप्न-कथा है । मुक्तिबोध की ‘अंधेरे में’ कविता ‘चाँद … Read more

ध्वनि सम्प्रदाय | ध्वनि सिद्धांत Dhwani Sampraday| Dhwani Siddhant | Acharya Anandvardhan | Bhartiya Kavyashastra

भारतीय काव्यशास्त्र में ध्वनि सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण स्थान है। ध्वनि-सिद्धान्त को व्यवस्थित करने का श्रेय आचार्य आनन्दवर्धन को है जिन्होंने अपने ग्रन्थ ‘ध्वन्यालोक’ में ध्वनि सिद्धान्त की स्थापना की। ध्वनि सिद्धान्त से पहले काव्यशास्त्र में तीन महत्वपूर्ण सिद्धान्त अलंकार, रस और रीति का प्रवर्तन हो चुका था। अतः ध्वनि सिद्धान्त के अन्तर्गत प्रबल एवं पुष्ट … Read more

हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा | Hindi Sahitya Ke Itihas Lekhan Ki Parampara

हिंदी भाषा एवं साहित्य का प्रारम्भ मोटे तौर पर 1000 ई. के आस-पास माना जाता है। तथापि हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन का वास्तविक सूत्रपात 19 वीं शताब्दी से माना जाता है। यद्यपि मध्यकाल में रचित वार्ता साहित्य यथा-चौरासी वैष्णवन की वार्ता (गोसाई गोकुलनाथ-ब्रजभाषा),  दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता (गोसाई गोकुलनाथ-ब्रजभाषा)), भक्तमाल (नाभादास) आदि … Read more

राम की शक्ति पूजा की व्याख्या भाग-3 | Ram ki Shaktipuja ki Vyakhya | Part-3

  भाग-3 लौटे युग दल। राक्षस-पद-तल पृथ्वी टलमल, बिंध महोल्लास से बार-बार आकाश विकल। वानर-वाहिनी खिन्न, लख निज-पति-चरण-चिन्ह  चल रही शिविर की ओर स्थविर-दल ज्यों विभिन्न,  प्रशमित है वातावरण, नमित-मुख सान्ध्यकमल लक्ष्मण चिन्ता-पल पीछे वानर-वीर सकल, रघुनायक आगे अवनी पर नवनीत-चरण,  श्लथ धनु-गुण है, कटि-बन्ध स्रस्त-तूणीर-धरण,  दृढ़ जटा-मुकुट हो विपर्यस्त प्रतिलट से खुल  फैला पृष्ठ पर, … Read more

नाटक के तत्व | Natak Ke Tatva

हिंदी नाटक के स्वरूप निर्माण में भारतीय और  पाश्चात्य दोनों ही नाट्य दृष्टियों का योगदान रहा है। अतः भारतीय और पाश्चात्य नाट्य तत्वों की संक्षिप्त जानकारी आवश्यक है। भारतीय नाट्य सिद्धांत संस्कृत के नाटकों के आधार पर निर्मित हुए थे तथा पश्चिमी नाट्य सिद्धांतों का आधार यूनानी नाटक थे। भारतीय आचार्यों ने नाटक के तीन अनिवार्य … Read more

प्लेटो का आदर्शवाद | Plato ka Adarshvad

 पाश्चात्य संस्कृति एवं सभ्यता का आदिस्रोत यूनान रहा है। यूनान के दार्शनिकों, विचारकों एवं काव्य-चिन्तकों ने जिन सिद्धान्तों का प्रतिपादन ईसा से चार-पाँच शताब्दियों पूर्व किया था, उन्हीं की अनुगूँज परवर्ती युग में यूरोप के विभिन्न विचारकों की शब्दावली में सुनाई देती है।   यूनान के गौरवशाली चिन्तकों एवं महान् दार्शनिकों में सुकरात के शिष्य प्लेटो (427 … Read more

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