प्रशासनिक हिंदी की चुनौतियाँ और समस्याएँ | Prashasanik Hindi ki Chunautiyan aur Samasyayen

प्रशासनिक हिंदी मूलतः अनुवाद के माध्यम से विकसित हुई है । अनुवाद की भाषा होने के कारण इसकी अपनी कुछ विशिष्टताएँ हैं जो शब्दावली, वाक्य विन्यास से लेकर अभिव्यक्ति शैली और अर्थवत्ता तक व्याप्त है । हिंदी का यह रूप अपेक्षाकृत नया है ।  जैसा कि होता रहा है हर नई चीज़ को स्वीकृति मिलने में … Read more

प्रशासनिक क्षेत्र में अनुवाद की आवश्यकता और स्थिति | Prashasanik Kshetra men Anuvad Ki Awashyakta aur Sthiti

  जब भारत स्वाधीन हुआ तथा प्रशासनिक आदि कार्यों में भारतीय भाषाओं के प्रयोग की बात सोची जाने लगी तब आरंभ में अनुवाद का सहारा लिया जाना अस्वाभाविक नहीं था। भारत के संविधान के अनुसार जहाँ अनुच्छेद 343 में संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी को अपनाया गया वहीं अनुच्छेद 345 में राज्यों की … Read more

‘अंधेर नगरी’ का नाट्यशिल्प | Andher Nagari Ka Natya Shilp

नाट्य शिल्प से तात्पर्य है किसी नाटक की कथावस्तु, पात्र एवं चरित्र चित्रण, संवाद, भाषाशैली, गीत या संगीत, बिम्ब एवं प्रतीक योजना तथा शीर्षक का सम्मिलित प्रभाव। आइए इन तत्वों के आधार पर अब andher nagari ka natya shilp का अध्ययन करते हैं ।  ‘अंधेर नगरी’ भारतेन्दु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित एक प्रहसन है । यह … Read more

शब्दकोश-निर्माण की प्रक्रिया | Shabdkosh Nirman Ki Prakriya

शब्दकोश का निर्माण अपने आप में एक बहुत जटिल और लंबी प्रक्रिया है। शब्दकोश बनाने की प्रारंभिक योजना से लेकर उसके छप जाने तक की प्रक्रिया काफी श्रम और समय की माँग करती है । यह जानकार आश्चर्य होता है कि ‘ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी कोश’ को बनने में चालीस वर्ष लगे थे। यह कार्य 1888 में … Read more

गजानन माधव मुक्तिबोध का जीवन दर्शन और उनकी काव्य दृष्टि | Gajanan Madhav Muktibodh ka Jivan Darshan aur Unki Kavya Drishti

 गजानन माधव मुक्तिबोध का जन्म श्यौपुर, ग्वालियर (मध्यप्रदेश) में 13 नवंबर, 1917 को हुआ । सन 1938 में इन्होंने होल्कर कॉलेज इंदौर से बी. ए. किया । सन 1954 में नागपुर विश्वविद्यालय एम.ए. से किया । उसके चार वर्ष बाद सन् 1958 में वे राजनांदगांव के दिग्विजय कॉलेज में अध्यापक हो गए और अंत तक … Read more

महादेवी वर्मा की प्रसिद्ध कविताएं और उनकी व्याख्या | Mahadevi Verma Ki Prasiddha Kavitaen aur Unki Vyakhya

 महादेवी वर्मा का जीवन परिचय  महादेवी वर्मा का जन्म 1907 में फर्रुखाबाद में हुआ था। इनकी पढ़ाई-लिखाई इंदौर और इलाहाबाद में हुई थी। इलाहाबाद में स्थित प्रयाग महिला विद्यापीठ में वे प्रधानाचार्या के पद पर कार्यरत रहीं। उनकी मृत्यु 1987 में हुई। महादेवी वर्मा ने कविता के अलावा सशक्त गद्य भी लिखा था। उनकी गद्य … Read more

अनुसंधान के मूल तत्व | Anusandhan ke Mool Tatva

अनुसंधान के मूल तत्व का आधार उसकी प्रक्रिया में निहित वे सारे तत्व हैं जिनसे अनुसंधान आरंभ से अंत तक जुड़ा रहता है । शोध के लिए एक दृष्टिकोण के साथ ही वह प्रक्रिया भी जुड़ी रहती है जिससे गुजरना पड़ता है । अनुसंधान के लिए विश्वविद्यालयों में अनेक नियम निर्धारित किए गए हैं जो … Read more

अनुसंधान के प्रकार | Anusandhan ke Prakar

अनुसंधान का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है । साहित्य का अनुसंधान सामाजिक और वैज्ञानिक अनुसंधान से अलग ही होता है, क्योंकि उसके रचनात्मक परिवेश में केवल बिम्बात्मक भाषा का प्रयोग ही नहीं सृजनात्मक संवेदना की भी अभिव्यक्ति होती है । अतः अनुसंधान के विभिन्न आयामों से जुड़कर इसकी अनेक प्रणालियों का विकास होता है । इस … Read more

मैथ्यू आर्नल्ड (1822-1888) की आलोचना दृष्टि | Matthew Arnold Ki Alochana Drishti

आलोचना का स्वरूप और प्रकार्य मैथ्यू आर्नल्ड Matthew Arnold  अंग्रेजी के महान आलोचक हैं  ।  आज हम  matthew arnold ki alochana drishti का अध्ययन करेंगे ।  मैथ्यू आर्नल्ड Matthew Arnold डॉ. टॉमस आर्नल्ड के पुत्र थे। इनकी शिक्षा आक्सफोर्ड में हुई थी। 1849 में इनका पहला काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ । इनके आलोचनात्मक निबंधों का संग्रह “एसेज इन … Read more

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की काव्यगत विशेषताएँ | Suryakant Tripathi ‘Nirala’ Ki Kavyagat Visheshtaen

1918 से 1936 तक 18 वर्षों का समय छायावाद युग है । दो महायुद्धों के बीच की हिंदी कविता के रूप में छायावाद का अध्ययन किया जा सकता है । सूर्यकांत त्रिपाठी निराला भी छायावादी कवि हैं । उनकी काव्यगत विशेषताओं को उनकी कविताओं का अध्ययन करके ही समझा जा सकता है। आइये अब nirala … Read more

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