काव्य के लक्षण – भारतीय काव्यशास्त्र | Kavya Ke Lakshan – Bhartiya Kavyashastra

संस्कृत काव्यशास्त्र में काव्य के स्वरूप पर पर्याप्त विचार-विमर्श हुआ है, जिससे विभिन्न काव्य सम्प्रदायों का विकास हुआ और काव्य के प्रमुख तत्वों की चर्चा करते हुए kavya ke lakshan निर्धारित करने का प्रयास किया गया। विद्वानों में मतभेद होने के कारण काव्य की कोई सर्वमान्य परिभाषा प्रस्तुत करने में वे सफल नहीं हो सके। आचार्यों … Read more

‘अज्ञेय’ के उपन्यास ‘शेखर एक जीवनी’ का वस्तु और शिल्प | Agyey Ke Upanyas ‘Shekhar Ek Jivani’ Ka Vastu Aur Shilp

      शेखर एक जीवनी ‘अज्ञेय’  agyey जी की बहुचर्चित औपन्यासिक कृति है जिसके दो भाग प्रकाशित हुए हैं। प्रथम भाग का प्रकाशन सन् 1941 ई. में और द्वितीय भाग का प्रकाशन सन् 1944 ई. में हुआ। यह अज्ञेय की ऐसी औपन्यासिक रचना है जिसे जीवनी प्रधान मनोवैज्ञानिक उपन्यास कहना अधिक उचित है। स्वयं अज्ञेय के अनुसार, “ ‘शेखर एक जीवनी’ एक अधूरी जीवनी है … Read more

प्रशासनिक कार्यों में अनुवाद की भूमिका | Prashasanik Karyon Men Anuvad Ki Bhumika

             राजभाषा अधिनियम, 1963 (यथा संशोधित, 1967) के प्रावधानों के अनुसार संघ सरकार के राजकाज में द्विभाषिकता की स्थिति आ गई जिसके अनुसार सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने शासकीय कार्य हिंदी अथवा अँग्रेजी में करने की छूट दी गई तथा उक्त अधिनियम की धारा 3(3) के अंतर्गत आने वाले सभी कागजात हिंदी और अँग्रेजी में द्विभाषी … Read more

सुमित्रानन्दन पन्त (1900-1977 ई.) की काव्य यात्रा के विविध चरण | sumitranandan pant ki kavyayatra ke vividh charan

                                          कविवर सुमित्रानन्दन पन्त  (sumitranandan pant) हिन्दी के एक ऐसे कवि हैं जिनकी कविता का स्वरूप एवं स्वर समय के साथ बदलता रहा। उनकी प्रारम्भिक कविताएं छायावादी काल की हैं जिनमें प्रकृति सौन्दर्य की प्रधानता है किन्तु बाद में उनकी कविताओं … Read more

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